सावन के तीसरे सोमवार पर जानें शिव जी का स्वरूप नीलकंठ क्यों हैं ?

सावन का हर सोमवार अपने आप में विशेष गुण लेकर के आता है और सावन के हर सोमवार की अपने आप में विशिष्टता है सावन के तीसरे सोमवार का महत्व क्या है

देखिए शिव जी सृष्टि के तीनों गुणों को नियंत्रित करते हैं सतोगुण रजोगुण और तमोगुण शिवजी स्वयं त्रिनेत्र धारी भी हैं साथ ही साथ शिव जी की उपासना भी मूल रूप से तीन स्वरूपों में की जाती है वैसे तो शिव पंचानन है लेकिन मुख्य रूप से उनकी उपासना तीन स्वरूपों में की जाती है और तीनों स्वरूपों की एक साथ अगर आप उपासना करना चाहे तो इसके लिए सावन का तीसरा सोमवार सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है इन तीनों स्वरूपों की उपासना करके सावन के तीसरे सोमवार को आप अपने मनोकामनाओं की पूरति कर सकते हैं शिव जी के इन स्वरूपों की उपासना अगर आप सावन के तीसरे सोमवार पर प्रदोष काल में करें यानी सूर्यास्त के आसपास के समय में सावन के तीसरे सोमवार पर अगर तीनों स्वरूप की उपासना करें तो उत्तम होगा अब बता आपको भगवान शिव के पहले स्वरूप के बारे में जिससे सारे ग्रह नियंत्रित होते हैं और उस स्वरूप का नाम है

नीलकंठ भगवान शिव का नाम नीलकंठ क्यों पड़ा समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला तो भगवान शिव ने मानवता की रक्षा के लिए उस विष को पी लिया उन्होंने विष को अपने कंठ में ही रोक लिया जिससे उनका कंठ नीला हो गया नीला कंठ होने के कारण शिव जी के इस स्वरूप को नील कंठ कहा जाता है अगर आप भगवान शिव के नीलकंठ स्वरूप की उपासना करते हैं तो शत्रु बाधा शांत होती है षड्यंत्र शांत होते हैं और तंत्र मंत्र जैसी चीजों का असर नहीं होता है यानी अगर शत्रु बाधा है षड्यंत्र है आपके ऊपर तंत्र मंत्र की छाया है तो भगवान के नीलकंठ स्वरूप की पूजा से आपको राहत मिलेगी

सावन के सोमवार को अगर आप भगवान शिव के नीलकंठ स्वरूप की उपासना करना चाहते हैं तो शिवलिंग पर गन्ने के रस की धारा चढ़ाइब नीलकंठ स्वरूप का जो मंत्र है ओम नमो नीलकंठ ओम नमो नीलकंठा इस मंत्र का एक माला या तीन माला जप करें ग्रहों की हर बाधा शांत होगी नकारात्मक तंत्र मंत्र से बचेंगे षड्यंत्र और शत्रु बाधा भी आपकी समाप्त होगी

By sachin

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