भगवान जगन्नाथ की जो मुख्य लीला भूमि है वह उड़ीसा की पूरी है जिसको पुरुषोत्तम पुरी भी कहा जाता है पुरी की धरती को बड़ा पवित्र मानते हैं राधा जी और भगवान श्री कृष्ण इन दोनों की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं यानी भगवान कृष्ण और भगवती राधा का जो संयुक्त स्वरूप है व भगवान जगन्नाथ है और भगवान कृष्ण उनका एक अंश है उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ बलभद्र यानी बलराम और माता सुभद्रा की काष्ट की लकड़ी की अर्ध निर्मित मूर्तियां स्थापित हैं और इनका निर्माण राजा इंद्र दमन ने करवाया था रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ साल में एक बार जन सामान्य के बीच में जाते हैं लोगों के बीच में भगवान खुद चल कर के जाते हैं और इसीलिए जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का इतना ज्यादा महत्व है
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आषाढ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ पुरी में आरंभ होती है और दशमी तिथि को समाप्त होती है रथ यात्रा में तीन रथ होते हैं मुख्यत सबसे आगे के रथ को कहते हैं ताल ध्वज और ताल ध्वज पर श्री बलराम होते हैं उसके पीछे होता है पद्म ध्वज उस पर होती है माता सुभद्रा और सुदर्शन चक्र और सबसे अंत में सबसे पीछे होता है गरुण ध्वज या नंदी घोष इस रथ पर भगवान जगन्नाथ स्वयं सवार होते हैं चलते हैं तो मुख्यतः तीन रथ इस रथ यात्रा में निकलते हैं और पहले सबसे पहले भगवान बलराम सबसे आगे होते हैं बीच में माता सुभद्रा होती हैं और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ होते हैं रथ यात्रा का यही क्रम होता है और इसी रथ यात्रा में दुनिया भर के लोग शामिल होते हैं और भगवान जगन्नाथ की कृपा प्राप्त करते हैं
रथ यात्रा का विशेष महत्व क्या है स्कंद पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि रथ यात्रा में जो व्यक्ति भगवान जगन्नाथ के नाम का कीर्तन करता है और कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जा है वो पुनर्जन्म से मुक्त हो जाता है कहने का मतलब यह है कि जब आप प्रभु के संपर्क में आकर के भगवान के नाम का कीर्तन करते हैं और उसमें लीन होते हैं
दरअसल आप भगवान में लीन होते हैं और जब आप भगवान में लीन होते हैं तो पुनर्जन्म से मुक्त हो जाते हैं जो कोई व्यक्ति भगवान के नाम का कीर्तन करता है रथ यात्रा में शामिल होता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं अगर आप रथ यात्रा के दर्शन कर ले या केवल रथ यात्रा में भाग ले ले तो संतान संबंधी सारी सम स्या आपकी दूर हो जाती हैं देखिए मुख्य रथ यात्रा तो निकाली जाती है उड़ीसा के पूरी में लेकिन भारत के अलग-अलग हिस्सों में भी उसी दिन रथ यात्रा निकाली जाती है तो अगर आप मुख्य रथ यात्रा में भाग नहीं ले सकते तो किसी भी रथ यात्रा में आप भाग ले सकते हैं और अगर यह भी संभव ना हो तो घर पर ही भगवान जगन्नाथ की उपासना करें उन्हें भोग लगाएं और उनके मंत्रों का जप करें यानी जहां कहीं भी रथ यात्रा हो रही हो उस रथ यात्रा में शामिल होइए और अगर ऐसा नहीं कर पाते तो भगवान जगन्नाथ के नाम का कीर्तन करें भगवान जगन्नाथ की पूजा करें और अपने घर पर ही उनसे प्रार्थना करें आपको लाभ होगा